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गांव की सड़क एक स्वप्न सी

गांव की सड़क तो

अब एक स्वप्न सी लगती है

अपने शहर से किसी दूसरे शहर की

यात्रा करने पर ही

बस रास्ते में

पल भर के लिए

कहीं आधी अधूरी सी दिखती है

गांव की हरियाली

गांव की शुद्ध हवा

गांव के सरल, सहज और

एक खुशनुमा जीवन के कहने ही

क्या है

अपने घर के कमरे से निकलकर

मेरे शहर की हर सड़क

मुझे कभी कभार किसी

गांव की सड़क तक ले जाये तो

दिल खुशी से भर उठे और

शहर की सड़क जो फिर

पहुंचायेगी मुझे गांव की

सड़क तक को

शुक्रिया कहे और

गांव की सड़क को देख

मुंह से अनायास ही यह शब्द निकले

‘वाह क्या बात है’।