गांव एक छोटा सा,
प्यारा सा,
न्यारा सा
उसमें जो मेला लगा
वह भी उसके जैसा ही
छोटा सा, प्यारा सा और न्यारा सा
उसे देख
मेरा दिल भी एक बच्चा बन गया
उन दोनों के जैसा ही छोटा सा,
प्यारा सा और न्यारा सा
अपने बचपन में लौट गया
एक उम्र का लंबा दरिया
वह कर चुका है पार
इस बात को वह भूल गया
बच्चों के साथ वह एक बच्चे सा खेलने लगा
झूले पर बैठ उनके संग झूलने लगा
खाने लगा, पीने लगा,
मस्त होकर मुस्कुराने लगा
खिलौने, गुब्बारे, टॉफी,
मिठाइयां, नमकीन आदि
सब उनकी तरह ही खरीदने की
जिद करने लगा
उनकी भांति ही
रंग बिरंगे परिधान पहन कर
सजने लगा फिर
मिट्टी में सनने के लिए
मचलने लगा
मेलों के आयोजन होते हैं
कितने मनोरंजक
कितने रोमांचक
कितने यादगार कि
अतीत की यादों को
वर्तमान के पटल पर ला देते हैं
किसी फ्रेम में फोटो
खिंचवाने के लिए चिपकी
एक बुरी तरह से सजी हुई
किसी नई नवेली दुल्हन की तरह।