यह दुनिया क्या है
कई बार तो लगता है कि
एक बहुत बड़ा मंच जिसके ऊपर
असंख्य नाटक एक साथ
इस दुनिया के सारे लोग या
इसके पात्र मिलकर खेल रहे हैं
वह खेलना न भी चाहे तब भी
उनके पास कोई विकल्प नहीं है
उन्हें इस खेल में शामिल होना ही
पड़ेगा
चाहे तो फिर वह कोई भी किरदार
निभायें
नायक का, नायिका का
खलनायक का, खलनायिका का
भगवान का या भिखारी का
अमीर का या गरीब का
एक स्वस्थ व्यक्ति का या बीमार का
बहुत से रोल मिलेंगे करने के
लिए
यह सब भी कोई न कर पाये तो
दर्शक बनकर यह सारे तमाशे
देख सकता है
कई बार अपने हिसाब से
अपना किरदार चुन सकने की
स्वतन्त्रता है और
कई बार जो निर्देश दिए जायें
उनका पालन सख्ती से करना होगा
जैसा करने को कहा जाये
वैसा नहीं किया तो
खेल से बाहर कर दिये जाओगे
अपनी काबलियत को तो तुम्हें
साबित करना ही होगा
बहुत से सवाल तुम्हारे जेहन में
उठते रहेंगे
माथापच्ची करते रहना
उम्र भर इन जीवन से जुड़े
रहस्यों को जानने की कोशिश
करते रहना
इन तमाम पहेलियों के हल
खोजने का प्रयत्न करते रहना
इस खेल को बस आंखें बंद करके
चुपचाप खेलते रहना
सफलता या असफलता का फल
चखते रहना लेकिन
खेल का परिणाम अंत में शून्य है
यह सत्य है और
तुम्हें सोने से मिट्टी ही बनना है
यही तुम्हारी तकदीर है लेकिन
इस खेल में हिस्सा नहीं लिया तो
एक निश्चित समय से पहले ही
तुम्हारी हार और मृत्यु को कोई
फिर टाल नहीं पायेगा।