मुझे मेरे फैमिली डॉक्टर पर
खुद से ज्यादा भरोसा है
मुझे कोई भी समस्या होती है
फिर चाहे वह हो शारीरिक, मानसिक,
मनोवैज्ञानिक, पारिवारिक या
ऐसी कोई भी तो
मैं निसंकोच होकर और
सहज भाव से उनके पास
एक अपने ही जैसे किसी बहुत करीबी
मिलने वाले के जाते हैं ठीक वैसे ही
पहुंच जाती हूं
उनसे मैं भावनात्मक रूप से
जुड़ी हूं
उनके क्लीनिक में पांव रखते ही
मैं असीम संतोष की प्राप्ति का
अनुभव करती हूं
डॉक्टर साहब की मुस्कुराहट,
अपनाहट और प्रेमपूर्ण व्यवहार को
देख मेरी आधी तकलीफ तो
वही की वही दूर हो जाती है
मैं उनसे अपनी बीमारी के साथ
दिल का हाल भी बयान कर
देती हूं और
तनाव मुक्त होकर बिल्कुल हल्की
हो जाती हूं
जब उनके पास जाती हूं तो
सिर पर जैसे एक बहुत भारी बोझा
ढोकर और
जब उनके पास से
घर वापस लौटकर आती हूं तो
एक चिड़िया के परों सी ही हल्की होकर
फुदकती हुई
गुनगुनाती हुई
एक हवा सी लहराती हुई।