सुबह से उठो
आंख खुले
देर शाम तक
फिर रात
सोने के समय तक
कोई भी आदमी बस
एक ही काम तो करता है
कुछ पाने के लिए
अपने सपनों को साकार करने के लिए
किसी मार्ग पर
कोई दिशा पकड़कर
अपनी मंजिल को पाने की
कोशिश ही तो करता
रहता है
उसके रास्ते में
कितनी कठिनाइयां उत्पन्न
होती रहती हैं
उन बाधाओं को पार करने की
फिर जी तोड़ चेष्टा करता है
कोशिश करता है
थक जाता है
हार जाता है
टूट जाता है
खुद में स्फूर्ती भरकर
खुद को प्रेरित कर
खुद में हौसला भर
खुद को फिर से उठाने की
कोशिश करता है
जो मनुष्य लगातार
कुछ न कुछ हासिल करने की
कोशिश करता रहता है
उसे बेशक अधिक नहीं
थोड़ा मिले लेकिन
उसे सफलता अवश्य
मिलती है
अपनी सफलता का परचम जो वह
अपनी मंजिल की चौखट पर
पहुंचकर फहराता है
वह जीवन भर की उसकी
छोटी छोटी अनगिनत कोशिशों का
नतीजा होता है।