बिना मां बाप का
कोई बच्चा अनाथ कहलाता है लेकिन
कुछ ऐसे अनाथ भी होते हैं जो
अपने मां बाप के जिंदा रहते हुए भी
मां बाप क्या होते हैं
यह जान नहीं पाते
उन्हें महत्व नहीं देते
उन्हें अपने जीवन में कोई
स्थान नहीं देते
उनसे कोई दिल का,
प्यार का या
भावनात्मक रिश्ता नहीं जोड़ पाते
उन्हें साथ लेकर नहीं चलते
उनकी अवहेलना करते हैं
उनकी जीते जी कदर नहीं करते
उन्हें समय रहते जो देना
होता है एक भगवान सा ही
उच्चतम दर्जा
उसे छोड़ो
किसी आम राह चलते
आदमी का भी नहीं देते
उनसे अमानवीय व्यवहार
करते हैं जैसे कि
वह हृदय विहीन हों
एक जीते जागते इंसान न हों
कोई जंगली हिंसक पशु हों
मां के पेट से ही जन्म लेकर
जो यह भूल जाते हैं कि
उनका इस संसार में कोई
अस्तित्व ही नहीं होता गर
उनकी मां इतना कष्ट और
पीड़ा उठाकर उसे जन्म न देती और
उसे पाल पोसकर इतना बड़ा न करती
बच्चे अपने मां बाप के
कभी न उतार सकने वाले
सारे अहसानों को पलक झपकते
भूल जाते हैं और
वह किस हाल में कहां पड़े हैं
यह तक उनकी सुध नहीं लेते
न सुख में न दुख में
कहीं शरीक होते
उन्हें अपने परिवार का हिस्सा ही
नहीं समझते
इस तरह की सोच बेहद दुखद है
लेकिन कोई गहराई से सोचे तो
इस तरह का व्यवहार और
मानसिक स्थिति कितनी
मूर्खतापूर्ण और हास्यास्पद भी है
खुदगर्जी की कई बार
सारी सीमायें लांघ जाते हैं
कुछ लोग
इस तरह के बच्चे
अपने मां बाप के रहते
या न रहते हुए
अनाथ ही हैं लेकिन
ऐसी विकृत मानसिकता के
लोगों को कभी
उनके मां बाप के
होने या न होने का
अहसास है
ऐसे लोगों को भगवान
सद्बुद्धि दे और
मां बाप के मरने की तो छोड़ो
उनके जीते जी तो
उनका साथ न सही पर
उनके स्मरण मात्र से ही
उन्हें अनाथ होने से बचाये।