दिल मेरा
तुम्हारे लिए
खिला था एक फूल सा
तुमने तो उसे
पहली दफा
पहली नजर देखने पर ही
कांटा समझ लिया
स्वीकार नहीं करना था मुझे तो
कम से कम
इतनी बुरी तरह से तो न नकारते
मेरा खुद पर से भी विश्वास उठ जाये
इतना रुसवा करके
मेरी आंखों से शर्म का पर्दा तो न
गिराते।