चेहरे पर इस पल
मुस्कुराहट के कंवल खिले हैं पर
अगले ही पल
इसी चेहरे पर लगी दो आंखों में
आंसू भरे हैं
अभी कुछ देर पहले तक तो
आसमान में धूप खिली थी लेकिन
इस समय तो बादलों की भरमार और
बारिश की रिमझिम फुहार है
मनुष्य की तरह प्रकृति भी
कभी हंसती तो कभी रोती है
कभी कोई छत पर जाने के लिए
सीढ़ियां चढ़ता है तो
अपने घर के आंगन में आने के लिए
उन्हें सीढ़ियों से नीचे की तरफ भी उतरता है
यह सब घटित होना एक सामान्य
प्रक्रिया है
इसमें असामान्य जैसा कुछ भी नहीं
हाथों की कलाई में सजी
कांच की चूड़ियां खनकती हैं तो
कभी बिना एक दूसरे से टकराये
बिना बात चटक कर टूटती भी हैं
दिल भरा हो तो
खूब जी भर कर रो लेना चाहिए
इससे मन हल्का हो जाता है
ठहाके लगाकर खूब हंसना भी चाहिए
कोई भी पर कोशिश यही करे कि
वह मुस्कुराये अधिक और
अपने बेशकीमती आंसुओं को बेवजह बहाये कम।