कल रात
जो देखा
वह कोई सपना था या
कोई सुंदर सुनहरा सच
चांद आसमान में नहीं था
वह मेरे साथ
मेरे शयनकक्ष में
मेरे बिस्तर के
मेरे तकिये के सिरहाने खड़ा था
उसे छूकर
अपने भ्रम को टूटते देखने का
मैंने एकाएक साहस न जुटाया
भ्रम पालना भी देखा जाये तो
बेहद जरूरी है जीवन में
नहीं तो
जिंदगी एक बोझ सी लगेगी
नहीं चलेगी
एक हल्के फुल्के अंदाज में
फूलों के गुलशन से महकती और
महकाती हुई भी।