नीलवर्ण से नीले
ओ श्याम मेरे चमकीले
कैसे सजे धजे हो
अधरों पे बांसुरी धरे हो
मोर मुकुट शीश पर विराजे
नील कंवल पे
हंसिनी सी चाल चले हो
मोर सा सुंदर नृत्य करे हो
ओ मेरे बांके सजीले
तुम्हारी बांसुरी की धुन सुरीली
मन को तुम्हारी ओर खींचती है
गोपियां रचा रही रासलीला
मेरा तन है स्थिर पर नृत्य कर झूम रहा
मैं वारी तुम्हारे तन पे
तुम्हारे मन पे
तुम्हारी देहरी पर बैठी
नीले आसमान के तले
यमुना के नीले जल के तीरे
अब तो प्रभु सम्भालो मेरे जीवन की नैया की
कमान कि
ह्रदय में अपनी मुझे जगह दो।