यह समुन्दर की लहर
यह समुन्दर की हवा
मुझे उड़ाकर कहीं न ले जायें
दूर चली जाऊं मैं सागर के तट से
कहीं कि
मेरे पैर इसकी रेत में धंस कर कहीं न फंस जायें
किसी से इश्क का खेल भी
बस तभी तक रास आता है
जब तक उसमें कोई खतरे की घंटी न बजे
यह इश्क बन जाये जो जानलेवा
तो फिर
किस काम का
इससे तब दूरी ही अच्छी
इससे फिर कर लूं मैं तौबा
समुन्दर की हवा तू मुझे
संभाल पाये तो
मुझे छूने के गुस्ताखी करना
जो मुझे कोई नुकसान पहुंचाये तो
मेरे पास से होकर गुजरने की
कोशिश भी मत करना
ऐ समुन्दर की हवा
तू चलना धीमे धीमे
अपनी मस्ती में ही न
डूबी रहना
एक छोटी नौका जो तैर रही
समुन्दर की लहरों पर
उसका भी ख्याल रखना
उसे पार लगाना
अपने तेज थपेड़ों से उसे कहीं डूबा
नहीं देना।