समुन्दर के बीच
एक टापू पर घर क्या बसा लिया
जब देखो
चक्रवाती तूफानों के बीच ही घिरी रहती हूं
इस द्वीप पर मैं नितांत अकेली हूं
किसी रोज जो तेज लहरें मुझे बहा ले गई तो
मेरी मौत पर तो मातम करने वाला भी
कोई नहीं होगा
चारों तरफ सब कुछ शांत देखकर भी
मैं किसी अनहोनी घटना के प्रकट होने के लिए
हमेशा तैयार रहती हूं
घर के खिड़की दरवाजों को कसकर बंद रखती हूं
आज हवायें सुबह से ही तेज हैं
भयावह हैं
आक्रामक हैं
लहरें भी आसमान की तरफ एक गेंद की तरह ही
उछल रही हैं
समुन्दर की मछलियां भी खुद का जीवन
बचाने के लिए जैसे मेरी खिड़की तक आकर
गुजारिश करती हैं कि मैं उन्हें भीतर आने दूं
ऐसे बिगड़े हुए हालातों में
मैं तो केवल समुन्दर के देवता से
यह प्रार्थना कर सकती हूं कि
ऐ हवाओं
तुम अपना वेग इतना अनियंत्रित
मत करो कि मेरे बंधे केश
खुलकर बिखर जायें और
काली घटाओं के नागों से
इधर उधर लहरायें
ऐ चक्रवाती तूफान
तुम थम जाओ
तुम शांत हो जाओ
वापस मुड़ जाओ अन्यथा
मैं अपने घर की खिड़की पर से हट जाऊंगी और
घर के अहाते में ही बने एक मंदिर में
स्थापित मूर्ति से लिपट जाऊंगी
देवी मां से प्रार्थना करूंगी कि
वह मुझे बचा लें
मुझे जीवनदान दें या फिर
खुद में समाहित कर अपने चरणों में
स्थान दें।