जिंदगी भर
एक ही रास्ते पर चलती रहूं
क्या मैं अपने लिए तय
किसी मंजिल को पाने के लिए या
इसे बदल दूं
रास्ता लंबा लूं या
छोटा
लंबे रास्ते में हो सकता है
समय कम लगे और
छोटे में अधिक
क्या वह रास्ता पकड़ लूं जिस पर से होकर
पहले भी कभी गुजरी थी
अपने पंख कटवा लूं या
पंख न होने पर अपनी देह पर
पंख चिपका लूं और
एक ही उड़ान में पा लूं अपनी
दूर पर फिर कहीं पास ही खड़ी
मंजिल को।