तुम्हारी काया
एक सोने सी दमकती
सुनहरी है
पीतांबर धारण कर
पहन लेती हो जो स्वर्ण आभूषण तो
सूरज की आभा भी
तुम्हारे सौन्दर्य के सामने फीकी है
पीली पीली सरसों के खेत में
पीले सूरजमुखी के फूल सी
पीली चुनर ओढ़े
जब तुम हौले हौले कदम उठाती
टहलती हो तो
सूर्य की सुनहरी किरणों सा
तुम्हारा यौवन फैल जाता है
गेहूं के दानों सा ही कण कण
हर कोने हर दर्पण
एक रूपवती तुम
एक कलावती तुम
गुणों की खान
हर कार्य में दक्ष
हर कला में पारंगत
तुम्हारे गुणगान के लिए
मैं शब्दों का भंडार कहां से लाऊं
हे प्रेयसी
तुम चांदनी का श्रृंगार
तुम चांदनी का एक उपवन
तुम चांदनी का सुनहरी संसार सजाता
एक तपोवन।