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एक सुलगती आग सा जलता तेरे हुस्न का चिराग

तेरी सुंदरता

तेरी मादकता

तेरी दिलकश अदा

हर महफिल में आग लगाती है

तू किसी को देख जो मुस्कुराती है तो 

उसके दिल पर बिजली गिर जाती है

आग लग गई है

तन बदन में

मन में

मेरे रोम रोम में

मेरे दिल की हर कंपन में

मेरी बांकी चितवन में

तेरी सूरत देख

मैं दीवाना हुआ

तू नभ में उगती

एक सूरज की रोशनी सी

कभी सारा आकाश

जला देती है

कभी होती है धरती पर

मेहरबान तो

अपने सौंदर्य की आग की

आंच उसके बदन पर भी

लगा देती है

एक सुलगती आग सा

जलता रहता है

तेरे हुस्न का चिराग

चाहे दिन की धूप हो या

हो फिर रात का कोई

आंखों में टिमटिमाता

दिल में आग लगाता

प्यारा सा ख्वाब।