घर हो या
सड़क हो
भीड़ तो सब जगह है लेकिन
हर व्यक्ति इस भीड़ के बीच भी
अकेला है
उसकी जीवन यात्रा में
कई पड़ाव हैं
कई लोग साथ जुड़ेंगे
मिलेंगे फिर बिछड़ेंगे
यह सिलसिले तो अंतिम सांस तक
कभी नहीं थमेंगे लेकिन
हर कोई इस यात्रा में
अकेला ही है
जन्म से मृत्यु तक की यात्रा
इस दुनिया में रहकर पूरी करनी होती है
एक यात्रा है आंतरिक
खुद के मन को टटोलने की
अपने दिल को आत्मा से जोड़ने की
कुछ खोजते रहने की
जिस दिन हो जाये यह तलाश पूरी
तो खुद को जिस्म के बंधन से मुक्त करने की
लेकिन यह सब सबके बीच होकर भी
एक यात्रा है एकान्तवास का ही
आभास देती हुई हर पल।