नदी
चाहे तुम हर समय मेरी आंखों के
सामने नहीं भी होती लेकिन
आंखें बंद करते ही
तुम मुझे एक निरंतर गति से
बहती
एक नीली कंचई धार सी
दिख जाती हो
तुम कितनी शांत हो
कितनी सौन्दर्यवान
कितनी शीतल
कितनी मनभावन
कितनी चंचल
न जाने कितनी कहानियां
खुद में समेटे
न जाने कितने राज दफन
कर
एक वीरांगना सी मुस्कुराती
हुई अपना सीना तानकर
चलती हो
मैं तो तुम्हारे गुणों की
दीवानी हूं
तुम्हारे किनारे पर आकर
अपने दिन के
कई घंटे तुम्हारे पास बैठकर बिता
सकती हूं
तुम लेकर चलना चाहो
अपने साथ
तो तुम्हारे साथ साथ
बहकर तुम जहां तक कहो
वहां तक भी जा सकती हूं
मुझे तुम्हारी तड़प है
तुमसे सहारा मिलता है
मेरी मां सी हो तुम
तुम्हारी लहरें मेरे बालों में
अंगुलियां फेरकर
मुझे अक्सर ही
तनाव मुक्त करके
गहरी नींद में सुलाने की कोशिश
करती हैं
ओ मेरी मां
तुम्हारी गोद में सिर रखकर
मुझे अक्सर ही एक चैन भरी
नींद आ जाती है।