मैं एक तपस्वी हूं
अपने मन के पावन तपोवन में
मैं दिन रात, सुबह शाम,
हर प्रहर, हर पल तप करती हूं
अपनी साधना में लीन हूं
अपने कर्तव्यों के प्रति सजग हूं
अपने उद्देश्यों को पाने की एक
दृढ़ इच्छाशक्ति पर अटल हूं
अपने प्रेम के मंदिर में बैठकर
प्रभु की आराधना में तल्लीन हूं
मैं जीवन में पाना चाहती हूं
प्रेम के सागर को
छूना चाहती हूं उसकी अमृत सी मीठी
किसी धारा को
जीवन में हर किसी का हित चाहती हूं
हर किसी से बिना भेदभाव प्रेम
करती हूं
हर किसी को अपने गले लगाकर
उसके दुख हर उसे अपनाना
चाहती हूं
मैं स्वयं के लिए कुछ नहीं चाहती
मैं चाहती हूं कि सृष्टि के हर
प्राणी का कल्याण हो और
इस संकल्प को मैं अति संवेदनशीलता, दृढ़ता और गंभीरता से
लेती हूं।