मन से फूट रहा
एक झरना
भावों का
किसी भाषा के रूप में
अभिव्यक्त हो रहा
एक कविता का रूप ले रहा
यह झरना बहता हुआ
न जाने कहां जा रहा है
किसकी प्यास बुझायेगा
किसको तर जायेगा
किसको यह भवसागर
पार करायेगा
किसके मन के द्वार
खटखटायेगा
किसके दिल में
उतर जायेगा
किसके जीवन की दिशा
बदल देगा
किसको प्रेरित करेगा
किसे ज्ञान देगा
किसके हृदय के तार को स्पंदित करेगा
किसको उसकी मंजिल तक
पहुंचायेगा
किसको सृष्टि के कण कण में
प्रभु के दर्शन करायेगा
किसको आत्मज्ञान का बोध करायेगा
किसको एक मुसाफिर बना देगा
किसको एक नाविक
किसको एक तपस्वी
किसको एक चट्टान
किसको एक भोगी
किसको कभी मुड़कर नहीं देखेगा
किसको संग लेकर चलेगा
यह खुद कहां तक पहुंचेगा
साथ में कितनों को लेकर
चलेगा
कितनों का भला करेगा
कितनों को तृप्त करेगा
कितनों को आशीर्वाद देगा
कितनों को वरदान देगा
कितनों को लेकर अपने साथ
समुन्दर में समाधि लेकर
मोक्ष प्राप्ति का साधन बनेगा।