छोड़ रही हूं मैं
उन लोगों को जो
मेरे दिल को नहीं छूते
जिन्होंने मेरा पूरा जीवन ले लिया और
अपने जीवन में से एक पल भी मुझे न दिया
दुख पड़ा जब मुझ पर तब तो
पूरी तरह से ही तन्हा कर दिया
मेरे अहसानों का बदला चुकाने का भी
कभी उन्होंने लेशमात्र साहस नहीं किया
एक गंगा जल जैसी पवित्र
मेरे दिल में बहती जलधारा को भी
उन्होंने हरदम दूषित करने का प्रयास किया
मेरे बारे में तरह तरह के भ्रम पैदा किये
मेरे सच को हमेशा झुठलाया
मेरे दिल को सदैव तोड़ा और
दरकिनार कर
घर से बाहर का रास्ता दिखाया
एक पावन आत्मा को कलंकित किया
मेरे विश्वास का हरदम कत्ल किया
मुझे हमेशा मेरी मंजिल से भटकाया
मेरी आत्मा की आंख को निर्वस्त्र किया
मेरे साथ विश्वासघात किया
मेरी सत्यता के संकल्पों का चीर हरण किया
मुझे पाप के एक दरिया में धकेल दिया
उसके पार जाने का भी न नाव सा कोई जरिया दिया
इस धरती पर हुए मेरे जन्म का शोक मनाया और
मृत्यु की घड़ी मेरे करीब जल्दी आये
इसका बिना किसी अवरोध के हर समय प्रबंध किया
मेरी मृत्यु होने पर वह दिन एक उत्सव सा मनेगा
इसका मुझे पूर्ण विश्वास है
मेरे जिंदा मानव के शरीर को दानव जैसे कुछ लोग नोंच नोंच के
एक गिद्ध की तरह खाएंगे और
मेरे मानवता पर जमे हुए विश्वास को डगमगायेंगे
इस बात का अंदेशा मुझे आरंभ से ही था
मेरी कोशिश तो अब यह है कि
अपनी बची हुई जिंदगी को इस भंवर से बाहर निकालूं और
अपने ही दम पर कोशिश करके इसको संवारू।