बचपन तो एक अरसा हुआ
बीत गया लेकिन
एक बात दिल के किसी कोने में
कभी से दबी
सबके समक्ष खुल्लम खुल्ला,
चीखकर, चिल्ला कर, खुश होकर
जोर से कोई सुने तो कहूं कि
मेरा दिल अभी भी एक बच्चे सा
ही है
बचपन के वह प्यारे,
न्यारे और सुहाने से
दिन चले गये लेकिन
यह बचपना है कि अभी भी
कहीं मुझे अकेला
छोड़कर नहीं गया
बचपन के झूले में तो मैं
आज भी झूलती रहती हूं
अपने बचपन की बातों को
याद करती रहती हूं और
खिलखिलाकर
एक फूल सी ही हंसती रहती हूं
एक खिलौने सी मैं,
शरारतों भरा था मेरा
बचपन
न किसी की रोक टोक,
न कभी हुई किसी से नोकझोंक,
सहेलियों के एक झुंड को लेकर
पानी की रिमझिम फुहारों में
भीगता
एक बारिश के मौसम सा प्यार लुटाता सबको भिगोता
एक बादल के बरसते झरने सा था मेरा बचपन
बहुत प्यार लुटाया सबने
मुझ पर
मैंने भी सबको प्रेम का
गीत सुनाया और गले
लगाकर हमेशा अपनेपन का
अहसास कराया
हर घर मेरा था
हर गली मेरा क्रीड़ा स्थल
हर उपवन के फूल का रंग
अपना
ऐसा खुशियों से महकता हुआ
एक आंचल था मेरा बचपन।