इंसान हो तो
इंसानियत का जज्बा खुद के पास रखो
एक दिल सीने में रखते हो तो
उसमें खुद के लिए और सबके लिए
बहुत सारा प्यार रखो
तुम खुद के भीतर जाकर
अपने दिल की बगिया में
भ्रमण करो और बताओ
तुम्हें एक फूल की सुगन्ध अच्छी
लगती है या
वहीं कहीं किसी कीचड़ के नाले से आती
उसकी दुर्गन्ध
तुम दोनों में से किसका
चयन करोगे
दोनों में से
किसकी तरफ जाओगे
सुगन्ध की ओर या
दुर्गन्ध की ओर
हमेशा के लिए इन दोनों में से किसको
अपनाओगे
दुर्गन्ध के साथ एक कांटे की
चुभन भी हो तो
तुम्हें कैसा महसूस होगा
बस यही तुम्हारा जो निर्णय
होगा वही तुम्हारे ऊपर भी
लागू होता है
तुम गर एक अच्छे इंसान
इंसानियत से भरे
अच्छे गुणों और संस्कारों वाले
मीठी बोली वाले
एक खिले हुए सुगन्धित फूल से
नहीं होंगे तो भला तुम्हारी तरफ
आखिर कौन और क्यों कोई
आकर्षित होगा।