आंख होते हुए भी
कोई किसी से आंख न मिलाये
आंखों आंखों में
कोई बात न करे
कोई दुआ सलाम न करे
किसी भी तरह का कोई भाव प्रकट न करे तो
वह आदमी फिर मन को न भाये
एक कोरा कागज सा वह
भावशून्य सा चेहरा लिए
बिना किसी कहानी के
बिना अक्षरों के
बिना कलम के
बिना स्याही के
बिना लिखावट के
बिना सजावट के
एक आंसुओं के संग बहती कजरे की धार लगे।