वो रात
एक डरावनी रात थी
जिसमें मेरे हाथों से
मेरा जीवन
मेरा अपना कोई
मेरा सब कुछ छीन रहा था
बिछड़ रहा था
हमेशा हमेशा के लिए जुदा हो रहा था
इस रात के बाद की
अगली सुबह
इस दुनिया के लोगों के लिए
सामान्य होगी लेकिन
यह सुबह
यह दिन
यह समय
मुझे तो कुछ भी अच्छा नहीं
लग रहा था
किसी का प्रेम भरा स्पर्श भी
मेरे दिल में कांटो के जंगल
बो रहा था
उस रात
आसमान में
एक नहीं
कई चांद एक साथ खिले थे
वह अंधेरी नहीं
एक सुनहरी रात थी लेकिन
मुझे तो उस रात
आसमान की तरफ देखने की भी
फुर्सत नहीं थी
मुझे तो चारों तरफ
घुप अंधियारा दिख रहा था
मैं पूर्ण रुप से निराश थी
मुझे आशा की किरण लहराता
किसी भी सवेरे का
रोशनी भरा उजियारा कहीं से न
दिख रहा था।