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उम्मीद का दामन

आज की सुबह सूरज नहीं उगा, 

शायद कल उदित हो, 

कल नहीं तो शायद परसों … 

कहने का तात्पर्य यह है कि 

उम्मीद का दामन हमेशा थामे रखिए। 

कोई एक सुबह ऐसी अवश्य होगी जिसमें 

सूरज अपना तेज प्रकाश चारों दिशाओं में बिखेरता 

उदीयमान होगा।