मेरे लबों पे बिखरी मुस्कुराहट को
मेरी खुशी का प्रतीक समझने की भूल
मत करना
मैं जितनी अधिक खुश दिखूं तो बस
यह समझ लेना कि
भीतर से मैं उतनी ही दुखी और उदास हूं
मेरे मन के आकाश पर
यह उदासी के बादल तो अब
उम्र भर छाये रहेंगे
आंखों में आंसू भी जम गये हैं
एक मोटी बर्फ की परत से
यह भी नहीं झरते
एक मोतियों की लड़ी से
यूं तो कहने को न जाने कितने
अग्नि कुण्डों में प्रवेश कर चुकी हूं मैं
इन्हें पिघलाने के मकसद से
उदासी दफन हो गई है
मेरे सीने में एक कब्रिस्तान की
कई कब्रों सी ही
बहारों का मौसम तो दूर की
बात है
इसकी दरदरी मिट्टी की
कोख से निकली एक सूखी
दरख्त की टहनी पर
कभी एक फूल कोई उम्मीद का
जो खिल जाये तो कहना।