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उदासी

उदास होने का अब मुझे कोई

अधिकार नहीं रहा

आंसू पोंछने वाला जो कोई अब

आसपास न रहा

अपना दुख किसी से बांट नहीं सकते पर

दूसरों के किस्से कहानियों को

सुनते रहना

यह जीवन का एक आवश्यक अंग

बन चुका है

हर किसी का अपना जीवन

अपना परिवेश

अपना परिवार

अपना दुख

अपनी उदासी है

सर्वोपरि और

दूसरे की नगण्य

उदासी हो चेहरे पर और

कर दो कहीं

थोड़ी सी भी जाहिर तो

सब भाग जाते हैं

तुमसे कोसों दूर

कोई फिर पास भी नहीं फटकता

दर्पण भी कहता है अब तो

मुझसे कि

अपना उदास चेहरा मुझे

हर समय मत

दिखाया करो

मैं तुमसे थक चुका हूं

ऊब चुका हूं

मायूस हो चुका हूं

मेरी सुबह अपना मुरझाया चेहरा

दिखाकर खराब मत किया करो

ऐसा ही करते रहे तुम

बदस्तूर तो फिर

मैं एक दिन खुद को

तोड़ दूंगा और

तुम्हारा चेहरा तुम्हें दिखाना

बंद कर दूंगा

मैंने भी पूछा खुद से

उदासी का कोई खास कारण भी

नहीं

मुस्कुराने की तो सौ वजह तलाशी

जा सकती हैं तो

ऐ दर्पण

सुनो मेरी जिंदगी

आज से मैंने प्रण लिया कि

जब मेरे चेहरे को

सब एक फूल सा खिलता और

मुस्कुराता ही देखना चाहते हैं तो

फिर अभी लो

अपने चेहरे से यह उदासी की

लकीर हमेशा के लिए मिटाते हैं।

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