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इसी को जीना कहते हैं

सर्दियों की धूप को पी रही हूं

जो भी मिल रहा है उससे मिल रही हूं

वह बात करना चाहता है तो उससे दिल खोलकर बातें भी कर रही हूं

किसी को लगे या न पर मुझे तो लग रहा है कि इसी को जीना कहते हैं और

मैं जीने की कोशिश कर रही हूं।