रात का चांद अभी डूबा नहीं है
रात के जाने का और
सुबह के आने का इंतजार है
सुबह का सूरज भी अभी उगा नहीं है लेकिन
मैं जाग गई हूं आज उसके
अपने घर से निकलने से पहले
आज मैं जीत गई और
वह मुझसे पीछे रह गया
अधिकतर तो वही पहले अपने स्थान पर
विराज कर करता है मेरा इंतजार
आज मैं कर रही हूं उसका इंतजार
सामने दिखेगा तो
करूंगी उसके चरण स्पर्श करके
उसे प्रणाम
सुबह सवेरे जैसे ही मेरी आंख खुलती है
एक वही तो है जो
मुझसे सबसे पहले मिलने आता है
मुझसे आंख मिलाता है
मुझे आगे बढ़कर गले लगाता है
मेरे मन के अंधेरे मिटाकर उनमें उजियारा फैलाता है।