आसमान में
बादल उमड़ते हैं,
घुमड़ते हैं
कहीं से आते हैं
कुछ देर को ठहरते हैं
आसमान का तन ढक देते हैं
उसकी पहचान को कुछ देर के लिए
उससे छीन लेते हैं फिर
उसका दामन छोड़
कहीं चले जाते हैं
आसमान जानता है कि
यह सब बस कुछ समय के लिए है
क्या इस घटना से वह
विचलित होता है
पल भर के लिए भी अपना
आत्म नियंत्रण खोता है
अपने स्थान से डगमगाता है
अपने आत्म सम्मान को गंवाता है
खुद को कहीं से हारा हुआ
महसूस करता है
क्या वह डर जाता है
बादलों के आगमन से
कुछ भी तो नहीं होता
आसमान के साथ
वह जैसा था वैसा ही अपने
स्वरूप में बना रहता है
थोड़ा सा जीवन में बदलाव
आने पर
उतार चढ़ाव आने पर
समय बदलने पर उसने
अपना संयम नहीं त्यागा और
अपनी जीत को
अपनी कामयाबी को
अपने हौसले को
अपनी मुस्कुराहट को
अपनी बादशाहत को हमेशा के लिए बरकरार रखा।