आंसू भर जायें
आंखों में एक सागर से तो
उन्हें फिर आंखों से गिराया नहीं जाता और
एक छोटे से रेशम के रुमाल को जो
उन आंसुओं को सोख नहीं
पायेगा
भीग जायेगा
गल जायेगा
एक बाढ़ में डूबी कश्ती सा ही कहीं बह जायेगा को
रुसवा किया नहीं जाता
शर्मिंदा किया नहीं जाता
जलील किया नहीं जाता
रेशम के उस रुमाल को फिर
अपने हाथों की
कोमल अंगुलियों में पकड़ कर
मुस्कुराते हुए
लहराया जाता है
आंसुओं की नदी को
रुमाल की किनारी से पोंछने के बजाये
दिल के समुन्दर में
हमेशा के लिए समाने के लिए गिराया जाता है।