अंधकार से जा रहा हूं
रोशनी की तरफ
काश इस बार यह रोशनी हमेशा के लिए मिले मुझे
इस सफर में कितने लोग, कितनी घटनायें,
कितने मुकाम पीछे छूटे
इस बार फिर जीवन में कुछ नया पाने जा रहा हूं मैं
अंधेरा छाये अब कभी जीवन में तो
बस कुछ पल को छाये
मन के आकाश पर
रात के घुप अंधियारे में पर
चांद सितारों का संसार हमेशा ही जगमगाये
एक सूरज की किरण दीपक सी
मन के किसी अंधियारे कोने में
हमेशा ही झिलमिलाये
रोशनी के अंबारों से सजे संसार
शेष बचे जीवन में अधिक मिलें
अंधकार के डूबते सूरज मिलें तो
क्षणिक और अस्थाई से
पलक झपकते ही अगले पल
एक सूरजमुखी के फूल से
उगने का वादा निभाते हुए।