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अंधकार में प्रकाश फैलाता

जीवन में जब छाये अंधकार

एक तेरा ही स्मरण है प्रभु

जो भरे तू फिर इस अंधकार में प्रकाश

अपने हिस्से का प्रकाश मैंने ले लिया

बाकी का तुझे ही कर रही अर्पित

तू देता बहुत है

तेरा दिल है विशाल

है तू बहुत बड़ा दानी पर

मेरी आदत है मैं लेती कम हूं

जितनी मुझे जरूरत बस उतना मुझे तू दे

मेरे हिस्से का शेष तू जरूरतमंदों में बांट दे

इससे मुझे मिलेगी असीम शांति और

प्रसन्नता

हर किसी को तू दे

उनकी कामनाओं की एक हद मुकर्रर कर

किसी में कोई भेदभाव न हो

जैसी मैं वैसे ही सब तेरी संताने और बालक

वह क्यों रहें वंचित

ऐ मेरे परोपकारी प्रभु

तू सबको थोड़ा थोड़ा दे

सब पर उपकार कर

सबका भला कर

सबका ख्याल कर

सब पर अपना आशीष एक रोशनी भरा प्रकाशवान

अंधकार में प्रकाश फैलाता

न्योछावर कर।