हे देवी! तुम हर तरह से असाधारण हो


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तुम कितनी प्रसन्न दिख रही हो

तन दमक रहा तुम्हारा एक सोने के आभूषण सा

मन का दर्पण चमक रहा एक हीरे के लश्कारे सा

आत्मा प्रज्वलित तुम्हारी

एक मंदिर के दीये की पावन लौ सी

हृदय स्थल विशाल तुम्हारा एक विस्तृत आकाश सा

चेहरे की आभा एक चमकते चांद सी

आंखों में चमक दो सूरज के चमकते जुगनुओं सी

एक सागर सी गहरी तुम्हारी मन की गहराई

तुम्हारे आंचल में तो ऐसा प्रतीत हो रहा जैसे कि

यह संपूर्ण सृष्टि है समाई

हे देवी! तुम कभी खुद को कहीं से

एक साधारण स्त्री मत समझना

तुम प्रभु के हाथों द्वारा रचित एक सुंदर और महान कृति हो

तुम्हारे रूप रंग का श्रृंगार अप्रतिम है

तुम इस संसार में कोमलता की परिचायक हो

तुम तन, मन और आत्मा के सौंदर्य की एक आकाश छूती पराकाष्ठा हो

सदियों से इतिहास गवाह है कि

तुम हर तरह से असाधारण हो।


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