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स्कूल के वो दिन

एक कोपल से जब कोई

कली फूटती है और

कली फूल बनकर नई नई

खिलती है तो

उसकी महक चरम पर होती है

ऐसे ही बचपन के दिन

बच्चे का दिल

एक मासूम दिल

दुनिया से अंजान दिल

अपने में ही खोया दिल

जिंदगी की उलझनों को न समझता

हुआ दिल

एक ताजे फूल सा ही महकता

दिल और

घर से बाहर कदम निकालकर

किसी स्कूल में दाखिला और

स्कूल के वो दिन

नया वातावरण

नई प्रिंसिपल

नये टीचर

नये सहपाठी

नये दोस्त

नया क्लासरूम

नया स्थान

नये रिश्ते

नया बस्ता

नई यूनिफार्म

नया टिफिन

नया पेंसिल बॉक्स

नई पानी की बोतल

नई कॉपी

नई किताबें

नई पेंसिल

नई रबड़

नये जूते

नये मोजे

नई नई शरारतें

नई नई जेहन के नक्शे पे  

उभरती नन्हे नन्हे

हाथों की अंगुलियों से लिखी हुई

लिखावटें

जिंदगी की नई शुरुआत

जिंदगी की  

एक मजबूत नींव का  

आरम्भ जिसपर

टिकेगी किसी की

जिंदगी की एक मजबूत

इमारत

कैसे भूल सकता है

कोई अपना शुरुआती

दौर और

वह भी जब हो कोई

विद्यार्थी और

उसके स्कूल के दिनों

का शोर और

एक हलचल की गूंज का

कंपन जो अब तक

उसके दिल की तार को

जब तब हिलाता

रहता है।