सुख की एक परछाई सा है
यह दुख, ग़म और दर्द
कभी इसका आकार बढ़ेगा तो कभी
घटेगा
इसके होने से परेशान क्या होना
यह तो कोई कुछ भी कर ले पर
उम्र भर साथ चलेगा।
सुख की एक परछाई सा है
यह दुख, ग़म और दर्द
कभी इसका आकार बढ़ेगा तो कभी
घटेगा
इसके होने से परेशान क्या होना
यह तो कोई कुछ भी कर ले पर
उम्र भर साथ चलेगा।
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