सात फेरे, सात वचन
दो तन, दो मन व दो आत्माओं का
फिर विवाहोपरांत हो जाता
हमेशा के लिए मिलन
यह बंधन शारीरिक आकर्षण से
परे
आत्मिक अधिक होता
तन से कम
मन का जुड़ना इसमें अधिक होता
वर और वधू
दो परिवारों का भी इसमें
एक दूसरे से परिचय होता
नये नये रिश्ते जुड़ते
घर में नई नई खुशियों का
आगमन होता
नस नस में
रग रग में
नई स्फूर्ति का संचार होता
एक पल पहले होता जो
अजनबी
वह अगले ही पल
हमेशा के लिए अपना होता
मिलन होता जो सुंदर तो
हर सपना सुहाना एक हकीकत होता
रिश्ता जोड़ना तो सरल है
उसे निभाना कठिन लेकिन
एक दूसरे का साथ
बड़ों का आशीर्वाद
छोटों का प्यार
हर किसी का थोड़ा थोड़ा
सहयोग मिलता तो
यह सफर आहिस्ता आहिस्ता
अपनी मंजिल की तरफ
बढ़ता
पाणिग्रहण संस्कार के दौरान
सात फेरे लेते समय
सात वचन भरते हुए
एक ध्रुव तारा जो
इस प्रेम के अटूट बंधन का
गवाह बनता तो
वह हर रात
आकाश से
इस रिश्ते की तरह
अटल
तटस्थ सा खड़ा ही
इस रिश्ते को भी
उम्र भर
एक स्थायित्व से चलने का
भर भर
आशीर्वाद देता।