in

लहराते वो खेत: गरिमा सूदन द्वारा रचित कविता

लहराते वो खेत और आसमान में पक्षियों का घेरा,
मुस्कान और उमंग समेत ज़िंदगी बसाती है यहाँ डेरा!
देखभाल और अपनत्व रूपी खाद्य से उपजाऊ बनती है ये फसल,
प्यार से सींचने पर हर हाल में लहराती है ये फसल।
इधर सादगी और समर्पण से निखरते हैं रिश्तों के बीज,
आदर और प्यार से मूल्यवान नहीं होती यहाँ कोई भी चीज़!
सादगी भरा जीवन और सादा-सा भोजन,
झोली भर ख़ुशियाँ और मुट्ठी भर उलझन।
शांति दूर तक पंख फैलाती जब सूरज की सुनहरी किरणें लहराते खेतों पर बिखर जातीं हैं,
झूमती है हवा और गदगद हो जाता है किसानों के घरों का समा।
टिमटिमाते तारों की छत को देखकर सभी ख़ूब मुस्कुराते,
सुकून की नींद का बिछौना ओढ़कर हैं सब सोते।
जहाँ भावनाओं में मिलावट नहीं होती,
ईमानदारी की कच्ची सड़क पर साफ़ नीयत वाली गाड़ियाँ भी नहीं डगमगाती!
वहाँ शालीनता की चांदनी हर आंगन में खिलखिलाती।
यह वह जगह है जहाँ सादा लिबास ओढ़े सच्चाई फ़रेब से नहीं घबराती!