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रोशनी की एक लौ हूं मैं

रोशनी की एक लौ हूं मैं

अंधेरा होने पर ही ज्यादा चमकती हूं 

अस्तित्व मेरा उभरकर आता है

एक चमकते शीशे सा

अंधकार की एक सकरी गली से

गुजरकर बाहर की तरफ

एक खुले रोशनियों के संसार में 

जब कदम रखती हूं मैं।