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रूह का एक साया

वह

अब जिस्म की

एक परछाई नहीं बल्कि

रूह का एक साया है

सब कुछ पीछे छोड़

वह ढूंढ रहा जैसे

रोशनी के हमसाये

ठीक उसी तरह से

तुम अब उसे खोजो।