यह लाल रंग के फूल


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यह लाल रंग के फूल

आज सूरज की नारंगी रोशनी में

उसकी लालिमा लिए

आग के जलते हुए

लाल अंगारे

चारों तरफ गुलशन की

फिजाओं में क्यों बिखेर रहे हैं

आज न जाने क्या हुआ है

इनके साथ जो यह अशांत हैं

यह तो कोमल हृदय के

एक संत महात्मा

एक महापुरुष

एक महान आत्मा से थे

यह इन्हें फिर एकाएक

आज क्या हो गया है

यह अपनी दिल की बातें किसी के

समक्ष रखते भी तो नहीं

इनका दुख दर्द कम होगा भी तो तभी 

जब यह इसे किसी के साथ बाटेंगे

यह मन पर इतना

भार लेकर कैसे जी पायेंगे

यह सांझ तक

एक सूरज के ढलने तक

उसके लाल रंग के

आहिस्ता आहिस्ता हल्के पड़ने की

तरह ही

अपना क्रोध भी त्याग दें तो

फिर फिर से हल्के होकर

अपने मूल रूप में लौट

आयेंगे और

एक फूल से ही हल्के फुल्के

और शांत चित्त के बन जायेंगे।


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