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मैं तो उड़ रही खुले आसमान में

मैं जमीन पर 

चल या दौड़ नहीं रही 

एक फूल की अधखिली परछाइयों सी

मैं तो उड़ रही 

खुले आसमान में 

पंख फैलाए 

एक मुस्कुराते हुए पंछी सी

अपनी सपनों के मंजिल के धरातल को 

अपने गुलाबी भीगे हुए लबों से चूमकर 

उसे छूकर पाती और 

गले लगाती हुई।