in

मेहमान

मेरे घर

जब भी कोई मेहमान आता है तो

हाथ में एक तराजू लेकर आता है

मेरा वजन उसमें तोलने के लिए

सवालों की भी फिर वह एक झड़ी सी

लगाता है

मेरे दिल के तारों को

बेवजह हिलाता है

मेरी रूह को बेचैन कर देता है

मेरी आंखों में आंसू ला देता है

ऐसे मेहमानों का मैं क्या

स्वागत करूं जो

मेरी हौसला अफजाई नहीं

मुझे जिन्दगी में हारा हुआ

महसूस करवाने के लिए

मेरे घर के दरवाजे तक

आता है।