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मेरे नायक जैसा कोई न था, न है और न होगा

मेरा नायक

पूरे का पूरा नायक है

वह कहीं किसी कोने से

एक प्रतिशत भी

खलनायक नहीं

वह पहली नजर में जैसा था

वैसा ही अपनी

आखिरी सांस तक बना रहा

उसके चरित्र में मैंने कभी कोई

बदलाव नहीं पाया

समय का आईना बदल गया

लेकिन

उसका चेहरा जैसा था

हमेशा वैसा ही बना रहा

वह कभी नहीं बदला

लोग तो पल पल में

गिरगिट की तरह रंग

बदलते हैं लेकिन

अपने नायक को

मैंने कभी रंग बदलते या

कोई रणनीति के तहत साजिश

रचते या कोई निम्न स्तर की

बात करते कभी नहीं देखा

एक प्रेरणा स्रोत थे वह

एक गुणों की खान

एक संपूर्ण ज्ञान का खजाना

उनकी प्रशंसा के लिए

मैं शब्द कहां से लाऊं

बस अंत में यही एक बात

कहती हूं

उसे बार बार दोहराती हूं कि

मेरे नायक जैसा कोई न था,

न है और न होगा

ऐसे लोग संसार में बमुश्किल

जन्म लेते हैं

आने वाली पीढ़ियां शायद

यह यकीन न करें कि हाड़ मांस से

बने इतने अच्छे लोग भी कभी इस धरती पर होते थे।