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मेरी मां

इस दुनिया में

कोई मां हो तो

मेरी मां जैसी हो

इतनी मासूम

इतनी संजीदा

इतनी सीधी

इतनी शरीफ

इतनी खामोश

जैसे हो कोई पत्थर की शिला

उससे गढ़ी कोई मूरत

इस धरती में

मेरे घर के अहाते के मंदिर में

विराजमान

जैसे एक भगवान का अवतरण

किसी देवी का रूप

मेरी मां ने सारी उम्र कभी किसी से

कुछ मांगा ही नहीं

कभी किसी को कुछ कहा ही नहीं

कभी अभद्र शब्दों या वाक्यों या भाषा का

प्रयोग नहीं किया

जिस हाल में रखा

वैसे रह ली

जो खाने को मिला

बिना नखरे के

बड़े सम्मान पूर्वक वह खा लिया

बर्तन में परोस कर दिया

उसमें खा लिया

वह नहीं मिला तो हाथ में

लेकर खा लिया

जहां उन्हें बिठा दिया

वही शांतिपूर्वक बैठी वह

मिल जाती थी

घंटों बाद भी

बिना हिले डुले

बिना कोई हलचल

किये

बिना आपके कार्य में विघ्न  

डाले

आजकल ऐसे लोग

मिलते कहां हैं

घरों में और

परिवारों में भी जो

बिना किसी शिकायत के

बिना कोई मांग करे

आपका बस सहयोग करते

हों

आपको हमेशा बल देते हों

आपका मनोबल बढ़ाते हों

आपको स्थिरता प्रदान करते हों

आपका भला चाहते हों

आपके शुभचिंतक हों

आपके लिए समर्पित हों

आपके अपने हों

आपके लिए ही बने हों

सुख दुख में हिमालय पर्वत से

सीना तानकर खड़े हों

मातृत्व की एक घने पेड़ सी

छाया देते हों

आपका दिल न दुखाते हों

आपकी आंख में एक आंसू

न आने देते हों

आपको इस सम्पूर्ण

संसार की खुशियां

जिसके चरणों में मिलती हों तो

वह स्थान तो

मां का हृदय या उसके

चरण कमल ही हो सकते हैं

बदकिस्मती से

जब वह इस दुनिया में न

रहे तो

अपनी मां को

हमेशा अपने हृदय में

एक उच्च स्थान दें

उन्हें हर क्षण याद करें

अपने स्मृति पटल से उनकी यादों को

कभी मिटने न दें

समय के एक तेज बहते प्रवाह में

अपनी जननी को कभी न

भुलायें

इतना प्रयत्न भी न कर पाये तो

आपका जीवन अवश्य ही

बिना कोई ठोस उद्देश्य के

बिना दिशा का अंत में

निरर्थक ही साबित होगा।