मेरा रिश्ता किसी दर्पण से


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मेरा रिश्ता

जो होगा

किसी दर्पण से तो

जब तक मैं हूं

कभी खत्म नहीं होगा

जब मैं पडूंगी इसके सामने

यह होगा

जब मैं हटूंगी इसके सामने से तो

यह नहीं होगा लेकिन

इसके समक्ष उपस्थित होने पर

यह रिश्ता अवश्य कायम

होगा।


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