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मां जैसा न कोई दूजा

इस दुनिया में

सब कुछ मिलेगा लेकिन

मां के जैसा

न कोई दूजा मिलेगा

मां तो अपने बालक की जननी

उससे उसका गहरा नाता

मां को होता जो लगाव

उसका बदले में उसे

कुछ अंश भी पर वापस

मिल नहीं पाता

मां को बदले में

प्यार मिले न मिले

मान सम्मान मिले या न मिले

घर संसार मिले या न मिले

वह पर बिना किसी भेदभाव

बिना बुरा माने

बिना किसी व्यवहार में परिवर्तन के

एक निर्मल बहती पवित्र नदी सी

ही अपनी आखिरी श्वास तक

अपनी कोख से जन्मे

अपने जिगर के टुकड़े को

खुद से ज्यादा

बिना कुछ इसके बदले में मांगे

प्यार किये चली जाती।