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मन की स्थिति का खेल

जो कुछ भी

किसी मनुष्य के जीवन में घटित

होता है

उसे अपने भीतर वह किस तरह से समायोजित करता है

यह सब मन की स्थिति का खेल ही तो है लेकिन

मन पर किसी का न रहता हो काबू

यह जो रहता हो बेचैन और

बेकाबू तो कोई क्या करे

मन में ही तो सारी दुनिया समाई है

सारी भावनाएं विद्यमान हैं

समस्त रोजमर्रा की गतिविधियों को

दिशा निर्देशित करता

एक केंद्र बिंदु यह है

मन के उतार चढ़ाव को पर

एक ठहराव देना चाहिए

मन को साधने की कला को

विकसित करना चाहिए

मन है एक चंचल बाला

एक शोख हसीना

एक यौवन को छलकाता

मादकता का प्याला

यह भरता जीवन में रंग,

उमंग और तरंग

बनाता उसे चमकीला, रंगीला

और भड़कीला

यह उकसाता रहता हरदम

दम भरता

सोते से उठाने का कार्य करता लेकिन

आवश्यकता है कि अपने

कार्य की गति को संयमित रखें

मन की आंख से सब अच्छा

देखें

मन को आदत डालें कि

यह अपनी सोच को सकारात्मक

बनाये

रचनात्मकता, कलात्मकता,

उत्पादकता आदि योग्यताओं को

अपने भीतर विकसित करें

अपने भीतर अच्छे गुणों का

विकास करे

सही समझे, सही परखे, सही देखे,

सही सोचे, सही विचारे

सही दिशा में कदम बढ़ाये

जो भी परिस्थितियां होती हैं

वह तो एक सत्य है ही लेकिन

उन्हें मन कैसे स्वीकारता है

किस तरह से उनमें

बदलाव लाकर

अपने हक की बात करता है

उससे कैसे लाभान्वित होता है

उसका रुख अपनी तरफ

कैसे मोड़ता है

उसमें से क्या अच्छा लेता है और

क्या बुरा छोड़ता है

यह सब किसी की मनोस्थिति पर भी

निर्भर करता है

यह तो हमेशा ही

दृढ़ता से स्वीकार करें कि

यह सब मन की स्थिति का खेल है।