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पहली बारिश: डॉ पुष्पा सिंह द्वारा रचित कविता

आज प्रकृति ने उत्सव मनाई
      झमझमाझम बारिश आई
धीरे से धरा फुसफुसाई
       झूम उठी पवन पुरवाई।
राहत की बौछारें लेकर
        बूंदों ने घुँघरू छमकाई
बादल ने बजाया ढोल
        चंचल चपला शहनाई बजाई।
धरती का आँचल लहराया
          बहारों में रौनक छाई
फूलों ने बिखेरी मुस्कान
          पेड़ परिंदे नें ठुमके लगाई।
प्रकृति ने मनाई उत्सव
         खेतों की हुई सिंचाई
बारिश में मस्ती से भीगे
           किसी ने खिड़की से लुत्फ उठाई।
उमस से जो थी बेहाली
        वर्षा ने राहत पहुंचाई
झमाझम बारिश जो आई
         प्रकृति ने उत्सव मनाई।