अहसासों में दीवानगी उठाती है नज़दीकियाँ
बारहा हसीं ख़्वाबों को जगाती है नज़दीकियाँ !
मुस्कुराकर सुला दिया था जिन यादों को कभी
राह-ए-दिल पे यादों को बुलाती है नज़दीकियाँ !
वीरान हो चुकी इस ज़िन्दगी के बाग़ों में सनम
जाने कैसे कैसे गुल खिलाती है नज़दीकियाँ !
गर्म साँसों की डोर पर नर्म होठों का तबस्सुम
बेताब धड़कनों की लहर उठाती है नज़दीकियाँ !
लग जाये ना मुहब्बत पे इस ज़माने की नज़र
ख़ौफ़ ये जुदाई का फ़िर डराती है नज़दीकियाँ !
कुछ नहीं मेरा वज़ूद गर तुम ना हो साथ मेरे
चुपके चुपके मेरे कान में बताती है नज़दीकियाँ !
रिश्ता ये दिल का लफ़्ज़ों का कोई खेल नहीं
एक पाक़ीज़ा अहसास दिलाती है नज़दीकियाँ !
रूह को ढूँढते हो मलय ज़िस्मों की गली में
पाक मुहब्बत के दीप जलाती है नज़दीकियाँ !